खाँहिश-ए-तकमिल


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खाँहिश-ए-तकमिल
               पिछले दिनों चलाए गए रमज़ान से पहले निकाह इस 21 दिन के कैम्पेन मे अल्हम्दुलिल्लाह, चार निकाह तो आम निकाह की तरह से हुए, एक निकाह आज बाद जुमे की नमाज़ के बाद मदीना शरीफ के एक मस्जिद पढ़ाया गया।
               जब मां और बेटा पहली बार www.faiznikah.com की ऑफिस आये, तभी उन्होेंने रमज़ान के महिने मे, उमरे के दौरान मदीना शरीफ मे निकाह करने की शर्त रखकर ही फार्म भरा था।
               मै- इंशाअल्लाह क्यों नही, करने वाली जात अल्लाह की है, हम तो ज़रिया है। मगर एक बात मै अभी कह देता हूँ के लड़की और उसके मां-बाप के उमरे का खर्च आपको करना होगा। उनको सब मंजूर था। बात ये थी के 2019 मे लड़के के मां-बाप हज़ के लिए गए थे। हज़ के दौरान वे एक निकाह मे शरीक हुए थे। तभी मियां-बीवी ने तैय कर लिया था के अपने लड़के का निकाह इधर ही करेंगे। तब लडका इंजीनियरिंग के दुसरे साल मे पढ़ाई कर रहा था। फिर कोविड की महामारी मे वालिद का इंतेक़ाल हुआ। अब्बा की तमन्ना जब लड़के को पता चली तो, मां-बेटे ने ठान ली के निकाह होगा तो मदीना शरीफ मे ही होगा।
                अल् मुक़्तदिर [ बड़ी कुदरत वाला] ने रास्ते आसान कर दिए। नेक काम मे गैबी मदत जरूर पहुंचाई जाती है। और निकाह हो गया।
               बारकल्लाहु-लकुम वबा-र-क- अलैकुम व-ज-म-अ बै-न कुमा-फी ख़ैर। 8 (सहीह)
                [ अल्लाह तुम्हें बरकत दे और तुम पर बरकत दे और तुम दोनों के बीच भलाई में इत्तिफाक दे। ] आमीन।