: गंदी सोच
: गंदी सोच
दोस्तो, बारहा देखा गया है, जब मियां-बीवी के आपसी झगड़े हमारे सामने आते है तब दोनों अक्सर एक बात पर जोर देती है की इनकी सोच गंदी है। इनके हिसाब से पराया मर्द या औरत से वक्त बेवक्त मिलना, उनसे घन्टों बात करना, ऑफिस या कारोबार के नाम पर घर से देर तक गायब रहना और सबब पूछने पर सर ना पैर की दलील देना। सब से अहम बात सामने वाले के कपड़े, बर्ताव और नज़र बेहूदा और शर्मसार करने वाले होते है।
अभी भाईओ, अच्छी सोच क्या होती है? बेहयाई दिखाई देते हुए भी उसपर कुछ भी ना बोलना, उसका हंसकर मंजूर कर लेना, ही शायद अच्छी सोच कहलाई जाती है!
पिछले दिनो नोबल विजेता मुस्लिम खातून ने हिजाब के सिलसिले मे बड़ी खूब कहा वो कहती है, " इंसान शुरूआती दिनों मे पेड़ के पत्तो से अपनी शर्मगा ढंका करता था। और जैसे जैसे उसका विकास होते गया, वैसे वैसे जानवर…
[5:15 pm, 26/2/2025] Dady: गंदी सोच
*दोस्तो, बारहा देखा गया है, जब मियां-बीवी के आपसी झगड़े हमारे सामने आते है तब दोनों अक्सर एक बात पर जोर देती है की इनकी सोच गंदी है। इनके हिसाब से कपड़े और उसे पहनने का तरीक़ा गलत होता है।पराया मर्द या औरत से वक्त बेवक्त मिलना, उनसे घन्टों बात करना, ऑफिस या कारोबार के नाम पर घर से देर तक गायब रहना और इन हरकत पर सवाल पूछने वाले की सोच गंदी सोच समझी जाती है।
फिर अच्छी सोच क्या होती है? बेहयाई दिखाई देते हुए भी उसपर कुछ भी ना बोलना, बेहूदा कपड़ों को आजका फॅशन ही तो है! इनके हर नाजायज कामो को हंसकर मंजूर कर लेना, ही शायद अच्छी सोच कहलाई जाती है!
पिछले दिनो नोबल विजेता मुस्लिम खातून ने हिजाब के सिलसिले मे बड़ी खूब कहा वो कहती है, " इंसान शुरूआती दिनों मे पेड़ के पत्तो से अपनी शर्मगा ढंका करता था। और जैसे जैसे उसका विकास होते गया, वैसे वैसे जानवर की खाल फिर कपड़े। और आज इंसान तरक्की विकास के आला मकाम [ Supreme Position ] पर है और ये हिसाब उसी तरक्की की निशानी है।