नाउम्मीदी कुफ्र है
गर्दिश में हों तारे, न घबराना प्यारे
अल्लाह का जो दम भरता है,
वो गिरने पर भी उभरता है
जब इंसान हिम्मत करता है
हर बिगड़ा काम संवरता है
उठ बाँध कमर क्या डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है
बर्बादियों का ग़म मनाना फ़ुज़ूल है
चला गया उसे याद करना फ़ुज़ूल है
कुछ पल ख़राब हुए नसीब है
अभी ज़िन्दगी बाकी है
नाउम्मीदी कुफ्र है
खुश रहना आपका हक्क है
उठ बाँध कमर क्या डरता है
फिर देख खुदा क्या करता है
दोस्तो, इन्सान के तारे जब गर्दिश मे होते है तब, बहुत सारी ग़लतियां कर बैठता। हम इन्सान है, ग़लतियां हो जाती है। मगर इस का ये मतलब नही के हम ज़िन्दगी भर उसका अफसोस कर, हर दम मायूस और ग़मगीन रहे। माना के हमारे दिलो-दिमाग मे पूरानी मेमोरिज, यादों को डिलीट करने का कोई बटन नही है। मेरे साथ ही ऐसा क्यों ? मैंने किसका क्या बिगाड़ है ? मेरा कुला, मेरा तलाक होने मे सचमुच कौन जिम्मेदार है। ये सवाल बार-बार दोहरा दोहरा कर प्रेजेंट और फ्युचर खराब करने मे कोई मतलब नही।
दुश्मन तो यही चाहता है, आप परेशान और गमगीन रहे। और आप ऐसा करकर उसको सपोट ही कर रहे हो। इस काले अतीत को नई खुशियों से ढककर जिन्दगी मे आगे बढ़ाना ही अक्लमंदी है। हमे हमेंशा उम्मीदवार रहना है। याद रहे नाउम्मीदी कुफ्र है।
आपकी ख़ुशियाँ दिल के दरवाज़े पर दस्तक दे रही है। उठो और नये से खुशियां समेट लो।
इस ग़म की खाई पार करने के लिए www.faiznikah.com की टीम आपके साथ है। इंशाअल्लाह तारीख- 29- 30- और 31 मार्च 2024 को लगातार 3 दिनों के जलसे मे आपका नया और सही हमसफ़र ढूंढ़ने मे जरूर मदत होगी।