दीनदारी की मांग
नासिक के जलसे मे एक एक्स प्रिंसीपल ने अपने कुंवारी डॉक्टर बेटी के प्रोफाईल मे एक्सपेक्टेशन के काॅलम मे दीनदार दामाद चाहिए लिखा। बड़े दिनों के बाद ये देखकर दिल बाग बाग हो गया। नही तो अक्सर धोका खाने और तलाक होने के बाद ही, दिनदार दामाद या बहु की तलाश होती है।
दुनियावी चकाचोंद और जगमगाहट के सराब [ मृगजल ] के पीछे अपनी और अपनों की ज़िन्दगी और सुकून बर्बाद कर लेने के बाद, हकीक़त आशकार होती है। दीन से दूरी की किमत बड़ी और भारी होती है।
एक झटके मे दुनिया की हैसियत ए अलामत [ टेटस सिंबल ] को देखने के नज़रिए मे बदलाव आ जाता है। खूबसूरती, एज्युकेशन, बड़ी पगार,
बड़ा खानदान और मुआशरे मे की समाजी हैसियत धरे के धरे रह जातें है।
बच्चों को हम खुद मानो एक्सपेरिमेंट मे इस्तेमाल किए जाने वाले गिनी पिग की तरह इस्तेमाल कर रहें है।
ये नही तो वो और वो नही तो ये। सब कुछ लुटा कर होश मे आने के बाद दीनदार। इस तरह बच्चों की ज़िंदगी दाव पर लगाने से पहले अपनी अक्ल और तजुर्बा इस्तेमाल कर बच्चों को डिप्रेशन और बर्बाद होने से बचाना होगा।
माना के आप अभी नातजुर्बाकारी हो, ये आपका पहला रिश्ता है। मगर आंखे खुली रखकर दिखेंगे तो, आप को खुद ब खुद समज जाओगे की बच्चों के ख़ुशहाली के लिए दीनदार हमसफ़र कितना अहम और ज़रूरी होता है।