खेल स्टेट्स का


...

  बड़ी अच्छी बात है के, हाय क्लास, मिडल क्लास के साथ-साथ अब लोअर क्लास के पेरेंट्स मे भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर बड़ी अवेयरनेस (जागरुकता) आयी है।
      हमारी ये हालात सिर्फ और सिर्फ ना पढ़ने से हुई है, मै पढ़ा लिखा होता तो कहाँ से कहाँ पहुँच जाता ऐसे बातों और सोच को लेकर मां-बाप  दिन-रात एक करके बच्चों को पढ़ाई के सारी सहुलियत मोहिय्या करा देतें है।  बच्चे भी मां-बाप की मेहनत मशक्कत को रायगा जाने नही देते, दिल लगाकर पढ़कर मां-बाप का खाँब पुरा करने की कोशिश मे लग जाते है।
         बच्चों ने मुक्कमल तालिम हासिल कर ली तो जाहिर है, बच्चों के साथ साथ मां-बाप का स्टेटस भी ऊँचा हो जाता है।
         अब जब बच्चों के शादी-ब्याह की बात आती है, उस वक़्त घर तक चलकर आऐ आसपास के, जानपहचान के और खानदान के रिश्ते बहोत छोटे और बेकार नज़र आने लगतें है।
        क़ुदरत का निज़ाम ही ऐसा है, ऊंचाई से हर चीज छोटी नज़र आती है।
         आसपड़ोस, जानपहचान और खानदान के रिश्तों को नजरअंदाज करके, बाज़ मर्तबा बेईज्जत कर के ठुकरा दिया जाता है। ये दिलजले, आपकी बात को और मिर्च-मसाला लगाकर आगे बढ़कर आपकी शौहरत मे इज़ाफा करते फिरतें है।
         हाय क्लास के रिश्तों की उम्मीद और तलाश मे हातसे शादी की उम्र कब फिसल जाती है, ये पता ही नही चलता।
        बेशक बच्चों को एज्युकेशन देना, बच्चो के लिए अच्छा रिश्ता देखना, हर मां-बाप का फर्ज है।
         तालीम एक रोशन चिराग है, उसकी रौशनी मे अपनी और आपनो की जिंदगी मे ख़ुशहाली, उजाला भर देती है। लेकिन इंसान की नासमझी / लापरवाही के चलते सबकुछ बर्बाद भी कर सकती है।