हुकूमत


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     दोस्तो,
     फ़ैज के एक सदस्य बड़े गमगीन अंदाज मे ऑफिस आये और कहने लगे, हमारे हिसाब से सब ठीक है, लड़का, उसका कारोबार, घर मगर घर मे सिर्फ मां का राज और हुकूमत चलती है।
    मैंने कहा माशाल्लाह, बहोत खूब याने आगे चलकर आपकी बेटी राज करेगी।
     सदस्य- मै समझा नही।
     मै- भाई उस घर मे लड़के की मां का राज, हुकूमत चलती है। यानी उस घर मे मर्दो को औरतों की बात सुनने और मानने की आदत है। उन मर्दो मे आपका दामाद भी शामिल है। कुछ सब्र से काम लो, थोड़े दिनों की बात है। आज नही तो कल मां को रिटायर्ड होना ही है। उसके बाद आपकी बेटी का राज शुरू होगा।
     कहावत तो सुनी ही होगी आज की बहु कल की सास।
     इस सच्चाई को कोई झुठला नही सकता के घर के अंदर औरतों की हुकूमत याने शांती और शांती ही से ही तो ख़ुशहाली आती है। घर-परिवार को कामयाब और एकजुट रखने मे मां का किरदार बड़ा और अहम होता है।
      दामाद और बहु के चुनाव के वक्त
     दामाद के अब्बा और बहु की मां की सीरत देखना पूरानी रवायत है।