देखना - दिखाना


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दोस्तो, 

फोन पर बातचीत  फोटो और बायोडेटा समज ने के बाद, रुबरू होकर रिश्ता पक्का करने का स्टेप्स आता है।
लड़की - लड़का के साथ घर का माहौल, आदत - अख़लाक़, रहन - सहन और कि हुई मेहमान नवाज़ी भी देखी जाती है। और ये होना भी चाहिए। इस्लाम की भी यही मांग है।आगे के ख़ुशहाली के लिए बहोत ज़रूरी भी है।
             लड़का - लड़की के घर जाते वक्त और आये हुए महमानों का इस्तकबाल के लिए घर के सभी सदस्य हाज़ीर रहे तो बेहतर है।
उस वक्त खाने की कुछ गुंजाइश लिए रहे तो बड़ी अच्छा होगा। अपना परहेज को बड़ा इशु ना बनाना। बड़े प्यार और ख़ुलूस से देते है,थोड़ा सा लगेंगे तो कुछ ना बिगड़ेगा। 
     जिसके लिए इकट्ठा हुए उन्हे हायलाईट करना ज़रूरी है। 
 मग़रीब के वक्त जैसे दिया। 
        सबकुछ दिखाई देता है, कुछ दिए की रौशनी से और कुछ बाहर की रौशनी से।

आज सिर्फ और सिर्फ होने वाले दूल्हा - दुल्हन ही अव्वल, सबसे महत्वपूर्ण और काबिल है। बाकी सारे सेकेंडरी है।
अक्सर देखा गया है, मौजूद बहन, सहेली, भाई, दोस्त के साथ तुलना कर उन्हें  पसंद कर, जिसके लिए बात चल रही है उसे ठुकराया जाता है।
हम हमारी, रिश्तेदारों की और मुआशरे मे हमारी पोस्ट और काबिलियत पर बोलना जहाँ तक हो सके रोककर बच्चो के बारेमे बात कि तो ठीक आप की सारी मालूमात लेकर ही तो वो  पहुँचे है।
      सामने वालौ की अच्छाई देखना और उसकी तारीफ़ करना आज-कल जरा दुश्वार होता जा रहा है। मगर सामने वालेको अपना बनाना है तो ये मुश्किल काम आपको करना हि होगा।