फैसला मुकद्दर का
हाजरीन,
कल ऑफिस में एक नौजवान और उसकी मां अपने बच्चों का रजिस्ट्रेशन करवाने आये थे।
बातचीत से पता चला दो लड़कीयां है, उम्र 25 और 27 की लेकिन उन्हें सिर्फ बड़ी बेटी का रजिस्ट्रेशन करना था।
मैंने सबब पूछा तो बोले छोटी के लिए रिश्ते आ रहे हैं। मगर बड़ी को छोड़ कर छोटी की शादी कैसे करें, लोग क्या कहेंगे।
बात तो उनकीं सोलाआने सच ही थी। हमारे आसपास हमें ये मंज़र देखने मिलता है।
मैंने उन्हें 2 साल पहले हुये फ़ैज मॅरेज ब्यूरो के मेंबर का किस्सा सुनाया।
दो-ढाई साल पहले एक रिटायर पोस्टमन ने अपनी तिन लकड़ियों का रजिस्ट्रेशन कर दिया था। उम्र 24/26/29 एसी थी।
रजिस्ट्रेशन के दो हफ़्ते बाद बड़े मियां बड़े अफ़सोस के साथ कहने लगे रिश्ते तो बहुत आ रहें हैं, मगर छोटी बेटी के लिए। बड़े दोनों को हर जगह से इनकार ही आ रहा है। क्या करूँ समझ नहीं आ रहा है।
मैने कहा ना उम्मीदी कुफ़्र है। वो अल मतीन ( ज़बरदस्त क़ुव्वत वाला ) है। उसी पर छोड़ दो हमें सिर्फ़ कोशिश करना है। करने वाली जात अल्लाह की है।
आप बेधड़क छोटी बच्ची का रिश्ता पक्का करें। लोग, रिश्तेदार की परवाह न करें। अल्लाह बड़ा बुजुर्गी वाला और हिकमत वाला है।
बड़े मियां को बात समझ में आयी। उन्होंने उसी महीने छोटी की मंगनी पक्की कर दि।
रिश्ते दो लोगों के बीच नही दो खानदानों के बिच होता है। सामने वाला खानदान काफ़ी बड़ा था। मेहमान की तादाद हजारों में थी।
दोनों खानदानों को मिलाकर जानपहचान का दायरा बहुत बड़ा हुआ। आपसी मेलजोल से एक दुसरे को जानने के मौके मिले।
शुक्र है अल्लाह सुभानु व ताला का मंगनी के चौथे दिन ही बड़ी बेटी का रिश्ता तैय हुआ, और फिर तिन महीने में मजली का।
बड़े मियां जो के 7/8 सालों से परेशान थे। एक झटके में टेंशन से फ्री हो गये।
अल्लाह का एक नाम अल अली भी है, याने बहुत बुलन्दी वाला । सचमुच सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं।
आपके खानदान में, आस-पड़ोस या दोस्तों मे ये मसला है तो ये फ़ैज मॅरेज ब्यूरो की हकीक़त बताएं।
याद रहे हम Information Technology के दौर से गुजर रहे हैं। इसका सीधा मतलब मालूमात और हिकमत
अल्लाह ताला ने हर जानदार को जोड़े में बनाया है। बस हमें मालूम करना है कि कहाँ हमारा हमसफ़र है।